उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो, क्या गोविन्द फिर आएंगे?
गोबिंद तो हैं हरदम तत्पर, क्या वो नहीं बचायेंगे ऐसा नहीं के आ नहीं सकते, फिर क्यों देर लगायेंगे चाहें तो पल में नष्ट कर दें, फिर क्यों न सुदर्शन चलाएंगे चाहते हैं वो जाग्रत करना, इसलिए तुम से करवाएंगे चाहे जितने दुर्योधन हों या हों फिर लक्ष हों दुशासन चाहे कोई व्यवस्था न हो, […]